Sunday, March 4, 2012

और एक पुनर्जन्म


आज पुन:
हर बार की तरह,
आत्मा को कंधा देकर,
देह को वापस लिए,
लौट चले.

अब और एक-
पुनर्जन्म का स्वप्न
पाल कर,
अपनी देह मे जीवन
को जगाना है...

अगले स्वप्न की
मृत्यु तक.
ओह इस व्यथित
मन को...
कितना छलें.

-शिशिर सोमवंशी