Friday, December 31, 2010

बीतता पल

बीतता हर पल कह रहा है,
जा रहा हूँ-
क्योंकि निमित्त है,

किंतु गमन समापन नही,
साथ रहेगा वो सब,
जो मेरे साथ-साथ बीता-


तुम्हारे आचरण मे,
तुम्हारी एक एक बात मे-
उल्लास मे और रुदन मे,
विफलता मे और उपलब्धि मे,

मेरे सानिध्य को,
आज विदा की इस बेला मे,
लज्जित ना करो,

मुझे संबंधों की गर्माहट,
अथवा दुराव की टीस,
प्रारब्ध का दोष,
भाग्य की कठोरता,
समझ कर विस्मृत,
कर देने पर भी,

मैं रहूँगा तुम्हारे अंतर मे,
तुम्हारी प्रखरता की,
शुभकामना के साथ.

शिशिर सोमवंशी
तिरुअनंतपुरम ७.०७ शाम को २०१० के साल का निवेदन हम सब के लिए.

1 comment:

  1. definitely the darkness can never prevail over eternal light....
    very true Sanjay ji
    rakesh verma

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