Saturday, October 30, 2010

आज जी लें सारा जीवन

अपने सब पूर्वाग्रहों को पोस कर,
सारा जीवन जी लिए-
ज़िंदा रहे?
-शायद नहीं.

टुकड़े टुकड़े बाँट कर
हिस्सा हिस्सा काट कर
जो ज़रा सा भी अलग था; ज़रा सा भी नया था
देख कर भी अदेखा जान कर,
स्वार्थ की पतली गली पहचान कर,
चलते रहे.
आगे बढ़े?
-शायद नहीं.

आज भूलें बात कोई,
आज तोड़ें एक भ्रम,
भूल कर संदेह सारे,
कोई सच स्वीकार कर के,
देर से ही

-आज जी लें सारा जीवन


-शिशिर सोमवंशी


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