Friday, November 5, 2010

दिल मे आजकल

अलग सा/ मौसम है/
आजकल/ दिल मे /
नया सा/ लगता है/

किसी भी/ बात का/
असर होता नहीं/
मुझ पर/ कोई कुछ भी कहे/

दिल अब/ कुछ भी/ कहता नहीं/
सिर्फ़ सुनता है/
और ऐसा भी नहीं/
सुन के समझ/ जाता है/

लोग समझते हैं/
तो समझा करें/
और समझाएँ मुझे.

इतना उलझा हूँ/
अपने आप मे/
अपनी उलझन मे/
कौन समझे मुझको/
कौन सुलझाए मुझे.

- शिशिर सोमवंशी

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