Friday, July 29, 2016

प्रारब्ध का श्वान

विगत योनियों के
विस्मृत अजाने
पाप से पोषित,
प्रारब्ध के
समर्पित श्वान का
कर्म के फल से
गहन चिरद्वेष है।
काया से काया
अनुगमन कर,
आकांक्षा की
क्षीण आहट पर,
अपनी कर्कश
भयावह ध्वनि से
सुनिश्चित कर ही
देता है निर्मम-
इष्ट सखा का
सुख सानिध्य
प्राप्त हो न
जाए कदाचित,
जिस के लिए
इन योनियों में
आत्मा की
दुस्सह यात्रा
अभी तक शेष है।
शिशिर सोमवंशी