Sunday, August 10, 2014

मेरे हिस्से की धूप

बिना संकोच,
निर्भय होकर 
माँगूंगा इसी पल से
बस आज से.



मेरे हिस्से की धूप,
नमी और हवा.
ये दिन भी बीत
जाएगा नही तो,
उमर की तरह
धीरे धीरे ऐसे.

मेरी कहानी,
जल्दी से पढ़ दी
हो किसी और ने
बेमन से जैसे.


- शिशिर सोमवंशी

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