Saturday, August 9, 2014

मैं यायावर

मैं बीते समय का यायावर,
बस राहों में सुख पाता हूँ.

स्मृतियों की धूल लिए
रुकने के सारे आमंत्रण-
स्थायित्व के अनुपम क्षण-

पुनर्मिलन के मधुरिम प्रण
आग्रह से ठुकराता हूँ.

मैं अपने ही सम्मोहन में
अपनी निजता के बंधन में
जीवन के अद्भुत मंदिर में
क्षय होती जाती काया के-
आदर से पुष्प चढ़ाता हूँ.

मैं बीते समय का यायावर,
बस राहों में सुख पाता हूँ.

-शिशिर सोमवंशी

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