Sunday, August 10, 2014

जब होगी सुबह












जब होगी सुबह,
तुम रख लेना,
अपने हिस्से सारी सारी.

इस डूबती बोझिल,
सांझ को तुम,
मेरे नाम करो.
तुम जी लोगे...
मैं जी लूँगा.
तुम जीवन हो,
मैं जीवन हूँ....

कोने कोने जो,
बिखरा है,
साथ हमारे रहता है,
और काल सरित,
मे बहता है..

इस अमृत की बूँदें सारी,
तुम पी लेना,
मैं पी लूँगा.
तुम जीवन हो,
मैं जीवन हूँ
.

- शिशिर सोमवंशी

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