लफ़्जों
से नहीं बोला आँखों में निहाँ है।
होना
था यही होना जो हो के रहा है।
दामन
है मेरा छोटा तू कितना बड़ा है।
एक
मेरे ही बारे में वो सोचता है इतना ।
कुतरे हुए नख उसके कर देते बयां हैं।
फिर
मैं नहीं आऊँगा देखने को तुमको।
जब
लौट के आया हूँ हर बार कहा है।
वो
आज खफ़ा है कल मान भी जाएगा।
मुझसा
नहीं शैदाई ये उसको पता है।
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