Monday, July 13, 2015

बारिश

कई दिनों के बाद
मौसम बदला.
बहुत देर तक
बरसती रहीं बूँदें.
चलो धरती का
दुख तो  गया.

बाकी सभी बातें
वैसी ही रहीं.
जैसी बरसों
पहले से हैं-
तुम्हारे जाने
के बाद.

वो दिन भी
कुछ अज़ीब
सा था.
उस रोज भी
बुहुत देर तक
बरसी थीं बूँदें-
आँखों से.
और कुछ भीगा
ही नहीं
अहसासों के सिवा...

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