बस एक बार
एक बार
बस एक बार
मुझे उन आँखों मे
ठीक उसी तरह
दिखना है..
जैसे पहली बार
देखा था.
उतना भला मैं
कभी नही लगा.
और...
उतना साफ भी.
समय के प्रवाह ने
उन्मुक्त निश्चल
जल को बाँध ही
लिया अंतत:
स्मृतियाँ तो मुक्त हैं
विश्वास करो..
मैने इन्हें कुछ
नहीं बताया,
कुछ भी नहीं कहा.
-शिशिर सोमवंशी
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