आँख रोई नहीं,
पर नम तो है.
झूठी आशा की किरण के पीछे,
मैं भी जीवन की तरफ़ भागा हूँ,
थक के चूर हुआ, सांस भारी है-
हाथ ख़ाली हैं और दिल है भरा-
दर्द कुछ कम है,
इतना कम तो नहीं.
कई बार किसी मौके पर
मैने आकाश को चूमा है,
मगर पा ना सका-
ख़ैर यह भी कुछ कम तो नहीं.
- शिशिर सोमवंशी
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