उपजी अदम्य श्रद्धा,
असीम आत्मबल एवं
सतत निर्विकार कर्मठता,
उत्तरोत्तर उत्तमता हेतु
व्यक्ति का जीवंत समर्पण।
ज्ञान की अविरत पिपासा,
चिंतन का अतुल्य विस्तार,
प्रेरणा, उत्साह, स्वप्नों का
दिग दिगंत मे संचार।
अपनी धरा से प्राप्त
हर अंश का प्रतिफल,
कर्म योग से रची,
यशस्वी गहरी रेखाएँ,
आकाश का विस्तृत पटल,
भूमि से ग्रहण,
सर्वस्व उसी को अर्पण।
लेखनी करों में रुकी ठहरी
प्रतीक्षा में रह गयी मेरी,
सोच की समस्त गतियाँ
मुझसे ये कह गई मेरी।
एक अद्वितीय जीवन
को आदरांजली दूँ,
अथवा महान प्रयाण को।
देर तक कुछ नहीं सूझा,
कागज़ को सादा रख
मध्य कोष्टक में मात्र,
एक नाम लिख दिया-
मैंने 'कलाम' लिख दिया।
शिशिर सोमवंशी
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